Sunday, June 27, 2010

Bhains Chalisa

महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते
अकल को कोई देख ना पावे- भैंस दरस साक्षात दिखावे
अकल पढाई करन से आवे- भैंस कभी स्कूल ना जावे
भैंस के डाक्टर मौज उङावैं- अकल के डाक्टर काम ना पावैं
अकलमन्द जग से डरै,भैंस मस्त पगुराय
भैंस चलाये सींग तो, अकलमन्द भग जाय
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस कभी ना बकती गारी
भैंस कभी अतंक ना करती- भैंस मेरी भगवान से डरती
तासौं भैंस सदा मुसकावै- अकल लङे ओर अति दुख पावै
अकल तो एटम बम्ब बनाये- झटके मे संसार उङाये
भैंस दूध दे हमको पाले- बिना दूध हों चाय के लाले
अकल विभाजन देश का कीन्ही- पाक बांग्लादेश ये दीन्ही
भैंस अभी तक फर्क ना जाने- एक रूप में सबको माने
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई- भैंस सभी को दूध पिलायी
भैंस न कोइ इलैक्शन चाहे- भैंस ना कोइ सेलेक्शन चाहे
इसकी नज़र मे एक हैं सारे- मोटे पतले गोरे कारे
भेदभाव नहिं भैंस को भाया- भैंस मे ही जनतन्त्र समाया
भैंस ना कोई करै हवाला- भैंस करै ना कोइ घोटाला
पासपोर्ट ना वीजा पाती- जब चाहे विदेश हो आती
फिर भी स्मगलिंग ना करती- भैंस मेरी कानून से डरती
ता सौं भैंस हमें है प्यारी- मंगल भवन अमंगल हारी
अकल बेअकल जो मरै, अन्त सवारी भैंस
भैंस बङी है अकल से, फईनल हो गया केस !!

1 comment: