Thursday, March 18, 2010

Old Sher

An old sher that I was reminded of today...


चंद जले आशार, कुछ हसीनाओ के खतो-खुतूत,
बाद मेरे मरने के, सामां यह मेरे घर से निकला ...

Ooof....too much dard!

No comments:

Post a Comment